Pen of Tabish

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-20-Mar-2022 बचपन से जवानी तक का सफर

खुद पे अल्फ़ाज़ लिखूं क्या मैं ?
अपना अंदाज़ लिखूं क्या मैं ?
कल मैं जैसा था अब नहीं रहा वैसा
और फिर आज लिखूं क्या मैं ?

खेलते कूदते हर वक़्त दोस्तों में 
वो हंसी मज़ाक लिखूं क्या मैं ?
जब तक बचपन था बेपरवाह थे हम
अब उसे याद लिखूं क्या मैं ?

कि हंसते तो थे खिलखिला के हम
अपनी मुस्कान लिखूं क्या मैं ?
ख्वाहिश ही ना बची कुछ चीजों की अब
दिल के अरमान लिखूं क्या मैं ?

कल था बचपन, निकल गया वो अब 
खुद को जवान लिखूं क्या मैं ?
ना समझ हूँ इस उम्र के पड़ाव से
खुद को अनजान लिखूं क्या मैं ?

अब तो ज़िम्मेदारिया ही है ज़िन्दगी में 
खुद को ज़िम्मेदार लिखूं क्या मैं ?
बताने को पूरा दिन बीत जाएगा 
बातें दो चार लिखूं क्या मैं ?

ये बचपन से जवानी तक का सफर 
इसको अब यार लिखूं क्या मैं ?
इसको अब यार लिखूं क्या मैं ?

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12 Comments

Simran Bhagat

23-Mar-2022 05:54 AM

Nice👌

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Swati chourasia

21-Mar-2022 08:48 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

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Zakirhusain Abbas Chougule

21-Mar-2022 03:01 AM

Nice

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Pen of Tabish

21-Mar-2022 08:36 AM

बहुत शुक्रिया ज़ाकिर हुसैन साहब

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